लेखनी कहानी -01-Sep-2022 सौंदर्या का अवतरण का चौथा भाग भाग 5, भाग-6 भाग 7 रक्षा का भारत आना ८भाग २१भ

४३- सौंदर्या के स्पर्श से सभी आनंदित

सभी  खाना खाने जा चुके थे। अब श्रेया ने नन्ही परी को गोद में लेकर रानी को भी खाना खाने को कहा-रानी तुरंत उठकर खाना खाने चली गई। खाना खाने के लिए रानी ने श्रेया को भी कहा- कि तुम भी खाना खाने चलो, श्रेया बोली..... नहीं अभी बहुत मेहमान है, सभी मेहमानों का स्वागत करना है। सभी को खाना खिलाना है, देखना है कि कोई भूखा ना चला जाए। हम सब लोग तो बाद में खाना खाएंगे। आप खाना खा लो जाकर श्रेया ने रानी से कहा- रानी खाना खाने चली गई, खाना खाते-खाते रानी के मन में ख्याल आया, और वह सोचने लगे कि आज तो नन्ही परी के नामकरण का ही दिन है तो आज तो नन्ही परी का नाम रख दिया गया होगा। ये मैं कैसे भूल गई, मैंने श्रेया से पूछा ही नहीं - कि अभी नन्ही परी का नाम क्या रखा गया है। रानी खाना खाते खाते सोच रही थी, उसने जल्दी से खाना खत्म किया और श्रेया के पास जाकर नन्ही परी का नाम पूछा- उसे चैन नहीं पड़ रहा था, वह बहुत जल्दी से ही नन्ही परी का नाम जान लेना चाहती थी। श्रेया ने कहा-  अरे अरे परेशान मत हो नन्ही परी का नामकरण हो गया है। तो मैं बताती हूं,नन्ही परी का नाम। मैंने अपनी बेटी नन्ही परी का नाम सौंदर्या रखा है‌ रानी ने कहा- क्या... श्रेया बोली.... सौंदर्या .....।रानी नाम सुनकर बड़ी खुश हुई,बोली तुमने नाम तो बहुत ही अच्छा रखा है। नन्ही परी हमारी जितनी सुंदर है, उसका इससे प्यारा नाम हो भी नहीं सकता था। तुमने उसका नामकरण बिल्कुल सही किया है, पर मेरी सौंदर्या अभी कहां है, मुझे बताओ। मैं खाना खा चुकी हूं। रानी ने श्रेया को बताया। ।उसने कहा- ठीक है तुम मुझे थोड़ी देर सौंदर्या को और दे दो। अभी तो तुम्ही नन्ही परी को खिला रही थी। अब मैं सौंदर्य को और थोडा खिलाना चाहती हूं। तुम थोड़ी देर सौंदर्या को मुझे और  दो  ना।

श्रेया....... रानी की विफलता को देख रही थी कि रानी.... कितना सौंदर्या को प्यार करती है। सौंदर्या को खिलाने के लिए पागल सी हुई रहती हैं, रानी सौंदर्या..... सौंदर्या....की रट लगाए हुई थी। श्रेया ने कहा- कि रक्षा जरा सौंदर्या को ले आओ, और रानी को खिलाने के लिए दे दो। रक्षा ने अंदर जाकर सौंदर्या को गोद में उठाया और बाहर आकर उसने सौंदर्य को रानी की गोद में दे दिया। रानी सौंदर्य को खिलाने में मगन हो गई। इतने में डॉक्टर साहब की एंट्री हुई। श्रवन ने डॉक्टर साहब को आते हुए देखा तो श्रवन बहुत खुश हो गया। उसने डॉक्टर साहब को अभिवादन किया। और डॉक्टर साहब को श्रेया से मिलवाया। डॉक्टर साहब ने श्रेया को हंसते खेलते देख आशीर्वाद दिया और पूछा कि तुम्हारी नन्ही परी कहां है। हमारी नन्ही परी आपकी बेटी रानी की गोद में खेल रही है। डॉक्टर साहब यह दृश्य देखकर मन ही मन दुआ कर रहे थे। भगवान करे! मेरी बेटी की गोद भी भर जाए। श्रवन में डॉक्टर साहब को बैठाया, उनको कोल्ड ड्रिंक्स लाकर दी।डॉक्टर साहब ने कोल्ड्रिंक लेकर पीना शुरू किया, तभी रानी सौंदर्या को गोद में लेकर अपने पिता से मिलने चली आई। पिताजी रानी को सौंदर्या के साथ देखकर कितने खुश हुए। उनके मन में बड़ी शांति महसूस हो रही थी, और उन्होंने श्रेया की बेटी का नाम अपनी बेटी से पूछा- कि इसका क्या नाम रखा गया है। रानी ने बताया, इसका नाम सौंदर्या रखा है श्रेया ने।

रानी ने सौंदर्या को अपने पिता डॉक्टर साहब की गोद में दे दिया।  डॉक्टर साहब भी श्रेया और श्रवन की बच्ची को गोद में लेकर गौरवान्वित महसूस कर रहे थे। यूं तो उनके हाथों से रोज ही 10 -20 बच्चे जन्म लेते थे, लेकिन इस तरह अपनी गोद में उन्होंने किसी को नहीं खिलाया था। सौंदर्या को गोद में लेकर एक अलग ही अनुभव हो रहा था। लग रहा था कि जैसे सौंदर्या उनकी अपनी ही नातिन हो। उन्होंने भी सौंदर्या को गोद में लेकर खूब खिलाया,और फिर सौंदर्या को रानी की गोद में दे दिया। रानी का मन अभी भी नहीं भरा था। वह जब से आई है, तब से ही सौंदर्या को खिला रही है। बस बीच में खाना खाने के लिए थोड़ी देर के लिए उसने सौंदर्या को अपनी गोद से उतारा था। खाना खाने के बाद उसने फिर से सौंदर्या को अपनी गोद में ले लिया, और वह खिलाने लगी। रानी के मन में बच्चों के लिए बेहद लगाव है। वह जब से आई है, तभी से सौंदर्या को खिला रही है। उसमें थोड़ी देर भी सौंदर्या को गोद से नहीं उतारा था। वह जब खाना खाने गई। तभी उसने जरा देर के लिए सौंदर्या को अपनी गोद से उतारा। उसका मन ही नहीं भर रहा था, सौंदर्या को खिलाते खिलाते डॉक्टर साहब और दीपक दोनों खाना खा रहे थे‌ खाना खाने के बाद डॉक्टर साहब ने श्रवन से चलने की आज्ञा मांगी। तब श्रवन ने कहा- कि पिताजी रुकिए, हम भी चलते हैं। परंतु रानी तो चलने को तैयार ही नहीं थी। तब डॉक्टर साहब ने कहा- ठीक है मैं चलता हूं, तुम लोग आराम से आना। कोई परेशानी नहीं है, मुझे तो अस्पताल जाना है।तो डॉक्टर साहब वहां से सभी से  विदा लेकर चले गए, डॉक्टर साहब को बहुत आभार व्यक्त किया आने के लिए। इसलिए  श्रवन के बुलावे पर डॉक्टर साहब उसके घर आए और उन्होंने श्रेया और श्रवन को अपना आशीर्वाद प्रदान किया। सौंदर्या को गोद में खिला कर आशीष दिया,और डॉक्टर साहब  चले गए। दीपक ने रानी से कहा- कि अब हमें घर चलना चाहिए। परंतु रानी अभी भी मानने को तैयार नहीं थी। परंतु घर तो जाना ही था। श्रेया के घर में कब तक बैठे रहेंगे। धीरे-धीरे खाना खा खा कर सभी मेहमान विदा होते गए।और घर खाली हो गया, परंतु दीपक और रानी अभी भी श्रेया के घर पर ही मौजूद थे। अब दीपक ने रानी से कहा कि रानी अभी सभी मेहमान चले गए हैं, तो अब हम लोगों को भी जाना चाहिए ।तब कहीं जाकर और उसमें सौंदर्या को श्रेया के हाथों में सोंपते हुए जाने के लिए विदा मांगी। मन तो उसका अभी भी नहीं कर रहा था, परंतु घर तो जाना ही था। रानी और दीपक जी श्रेया को शुभरात्रि बोल कर। और बाहर जाकर अपनी गाड़ी में बैठ गई। दीपक और रानी अपनी गाड़ी में बैठ कर घर की ओर चल पड़े‌ थोड़ी ही देर में उनकी गाड़ी हवा से बातें करने लगी, और घर पहुंच गई। घर पहुंचकर  रानी और दीपक ने सबसे पहले कपड़े चेंज किए, कपड़े चेंज करने के बाद वह दोनों बेड पर खरे और सोने की तैयारी करने लगे।

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6 Comments

Behtarin rachana

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Chetna swrnkar

25-Sep-2022 10:58 AM

लाजवाब

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shweta soni

25-Sep-2022 09:40 AM

बेहतरीन रचना

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